Social Worker Irfan Machiwala Urges CM Fadnavis to Launch Green Workforce Initiative for Beggars
माहिम के समाजसेवी इरफान मछीवाला ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया है कि वे राज्य के भिखारियों के लिए 'ग्रीन वर्कफोर्स इनिशिएटिव' की शुरुआत करें। उनका उद्देश्य है कि इन वंचित वर्गों को पर्यावरणीय स्थिरता से जुड़ी गतिविधियों में प्रशिक्षित कर एक सम्मानजनक और स्थायी आजीविका का साधन दिया जाए।
इरफान मछीवाला ने प्रस्तावित किया है कि भिखारियों को घरों, बाजारों और रेस्टोरेंट्स से जैविक कचरा इकट्ठा करने, कंपोस्ट बनाने और उसे सार्वजनिक बाग़ों में उपयोग या बिक्री के लिए तैयार करने का काम दिया जा सकता है। इससे एक हरित अर्थव्यवस्था की शुरुआत होगी।
उन्होंने MGNREGA जैसी योजना के तहत भिखारियों और बेघर लोगों को सार्वजनिक बाग़ों, ग्रीन बेल्ट्स और अर्बन फॉरेस्ट्स की देखरेख में शामिल करने की मांग की है।
"एडॉप्ट-ए-प्लांट" स्कीम के तहत हर भिखारी को एक या अधिक पौधों की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इन्हें पार्कों, सड़कों के किनारे, और ट्रैफिक आइलैंड्स में लगाया जाएगा। पौधों की देखरेख करने के बदले में उन्हें इंसेंटिव्स या इनाम दिया जा सकता है।
भिखारी कैसे महाराष्ट्र को हरा-भरा बना सकते हैं:
1. शहरी वृक्षारोपण और रखरखाव
- भिखारियों को अर्बन गार्डनर्स, ट्री प्लांटर्स या पार्क मेंटेनेंस वर्कर्स के रूप में प्रशिक्षित किया जा सकता है
- नगर निगम और NGOs उन्हें हरियाली अभियानों में शामिल कर सकते हैं
- स्थानीय नर्सरीज़ में पौधों को उगाने का काम सौंपा जा सकता है
2. वनों का पुनर्स्थापन और तटीय क्षेत्रों का संरक्षण
- तटीय इलाकों में मैंग्रोव रोपण व भूमि पुनरुत्थान परियोजनाओं में उन्हें शामिल किया जा सकता है
- हर सफल पौधे पर उन्हें मजदूरी दी जा सकती है
3. ईको-फ्रेंडली स्ट्रीट वेंडिंग
- भिखारियों को सस्ती औषधीय जड़ी-बूटियाँ, फूलों के पौधे और नर्सरी प्रोडक्ट्स बेचने के लिए सहायता दी जा सकती है
- नगरपालिकाएं उन्हें लाइसेंस और स्टार्टर किट्स प्रदान कर सकती हैं
4. ईको-प्रोडक्ट डेवलपमेंट
- बीज बॉल्स, बायोडिग्रेडेबल गमले जैसे उत्पादों को बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा सकता है
- इन उत्पादों की बिक्री से हरित अभियानों को आगे बढ़ाया जा सकता है
इरफान मछीवाला ने इथियोपिया की ग्रीन लेगेसी इनिशिएटिव का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वहां करोड़ों गरीबों ने 20 अरब से अधिक पेड़ लगाए। इसी तर्ज पर चेंबूर के भिखारी आश्रय गृह में एक पायलट प्रोजेक्ट चलाने का प्रस्ताव रखा गया है, जहां देशी प्रजातियों के पौधे तैयार कर बेचे जाएंगे।
इस पहल से महाराष्ट्र में
- गरीबी कम होगी
- हरियाली बढ़ेगी
- शहरी जीवन में सुधार होगा
सरकारी सहयोग, प्रशिक्षण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी से यह मॉडल न सिर्फ पर्यावरण को बहाल करेगा बल्कि हजारों जिंदगियों को भी नया मकसद देगा।
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