Sharbat Jihad Comment of Baba Ramdev Sparks Rooh Afza Buzz on Social Media
बाबा रामदेव के 'शरबत जिहाद' वाले बयान के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने रूह अफ़ज़ा को याद करना शुरू कर दिया — किसी ने बचपन की यादें ताज़ा कीं तो किसी ने इसकी मिठास में छिपे सौहार्द को बयां किया। नीचे पढ़िए दो चर्चित प्रतिक्रियाएं।
वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा: "कई सालों बाद रूह अफ़ज़ा का स्वाद लिया, बचपन की मीठी यादें ताज़ा हो गईं। लेकिन अफ़सोस है कि बाबा रामदेव जैसे व्यापारी अब अपना शरबत बेचने के लिए हमदर्द जैसी प्रतिष्ठित कंपनी पर 'शरबत जिहाद' फैलाने का आरोप लगा रहे हैं। ये वही बाबा हैं जो अब शरबत का भी मजहब तलाशने लगे हैं और उसकी मिठास में नफरत का ज़हर घोल रहे हैं।"
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने फेसबुक पर अपनी प्रतिक्रिया दी: "ठंडी लस्सी, बर्फ से भरा गिलास या ठंडा दूध — जब इनमें रूह अफ़ज़ा मिलता है तो रूह तक को ठंडक मिलती है। यह सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि बचपन की यादों का मीठा अहसास है। चिलचिलाती गर्मी में रूह अफ़ज़ा की ठंडक को महसूस कीजिए, और रूह को तरोताज़ा कीजिए। नफ़रत फैलाने वालों को उनके हाल पर छोड़ दीजिए। वे शरबत की मिठास में नफ़रत नहीं मिला रहे, बल्कि अपना कारोबार चमका रहे हैं। याद कीजिए, जब उनके नूडल्स लॉन्च होने वाले थे, तो मैगी में कीड़े निकलने की अफ़वाहें फैलाई गई थीं। अब जब शरबत बेचना है, तो रूह अफ़ज़ा को भी मज़हबी रंग देने की कोशिश की जा रही है।"