Crackers and Their Manufacturing Units: Hidden Hazards Revealed by Irfan Machiwala
माहीम के समाजसेवक इरफान मछीवाला ने पटाखों और पटाखा निर्माण इकाइयों से होने वाले नुकसान पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि पटाखों का उपयोग सिर्फ एक दिन की खुशी के लिए हवा, ध्वनि और स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाता है।
वायु प्रदूषण:
पटाखों से निकलने वाली हानिकारक गैसें जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड वायुमंडल में घुल जाती हैं। इससे PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा बढ़ जाती है, जो सांस संबंधी समस्याएं उत्पन्न करती है।
ध्वनि प्रदूषण:
पटाखों की आवाज़ अक्सर सुरक्षित सीमा (125 dB) से अधिक होती है, जिससे मनुष्यों और जानवरों दोनों में तनाव, बेचैनी और सुनने की समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और हृदय रोगों के मरीज़ों के लिए पटाखे अत्यंत हानिकारक हैं। इसके अलावा आंखों में जलन, त्वचा जलना और दुर्घटनाएं आम हो जाती हैं।
पशु-पक्षियों पर प्रभाव:
तेज आवाज़ जानवरों को डरा देती है, जिससे वे घायल हो सकते हैं या उनकी मृत्यु भी हो सकती है। पक्षियों के घोंसले बनाने और उनकी सुनने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।
कचरा और प्रदूषण:
त्योहारों के बाद सड़कों पर कागज़, प्लास्टिक और रसायनों का कचरा बिखर जाता है। ये विषैले अवशेष मिट्टी और जल को प्रदूषित कर देते हैं।
आग लगने का खतरा:
भीड़भाड़ वाली जगहों पर पटाखों की वजह से आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
पटाखा निर्माण इकाइयों से नुकसान:
इरफान मछीवाला ने पटाखा निर्माण इकाइयों की खतरनाक सच्चाई भी उजागर की। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर अवयस्क बच्चों से काम करवाया जाता है, जो उनके जीवन के लिए बेहद खतरनाक है।
बाल श्रम और शोषण:
अनेक कारखानों में कम उम्र के बच्चों से असुरक्षित परिस्थितियों में काम कराया जाता है।
दुर्घटनाओं का खतरा:
इन इकाइयों में अक्सर विस्फोट और आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं, जिससे कई लोग घायल या मृत हो जाते हैं।
विषैले रसायनों से संपर्क:
कारखाने में काम करने वाले मज़दूर विषैले रसायनों के संपर्क में आते हैं, जिससे उन्हें दीर्घकालिक बीमारियाँ हो सकती हैं।
पर्यावरण को नुकसान:
अनियंत्रित रूप से रसायनों को फेंकने से हवा, मिट्टी और जल प्रदूषित होते हैं।
ग़ैरकानूनी गतिविधियाँ:
अनेक इकाइयाँ बिना लाइसेंस और सुरक्षा मानकों के चलाई जाती हैं, जिससे जान-माल और पर्यावरण दोनों पर संकट मंडराता है।
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