Fruit Trees for Public Good: Irfan Machiwala Suggests Greening Footpaths in Mumbai
Urban Farming Vision: Free Fruits and Clean Air for Maharashtra Cities
मुंबई और महाराष्ट्र की चौड़ी फुटपाथों पर फलदार पेड़ लगाने का सुझाव समाजसेवी इरफान मछीवाला ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को दिया है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य पर्यावरणीय सुधार, सामाजिक भलाई, आर्थिक समर्थन और जैव विविधता को बढ़ावा देना है।
इरफान मछीवाला का मानना है कि अगर बड़े शहरों जैसे मुंबई, नागपुर और पुणे में चौड़े फुटपाथों, बगीचों, स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक कोनों पर देशी फलदार पेड़ लगाए जाएं, तो इससे कई स्तरों पर फायदा मिलेगा।
फलदार पेड़ जैसे जामुन, करवंदा, इमली, नींबू और अंजीर प्राकृतिक रूप से वातावरण को शुद्ध करते हैं। ये पेड़ हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, धुएं और हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं, जिससे ट्रैफिक वाले इलाकों में प्रदूषण कम किया जा सकता है। इनके साये से तापमान भी कम होता है, जो गर्म शहरों के लिए वरदान साबित हो सकता है।
मानसून के दौरान पानी भरने की समस्या से निपटने में भी पेड़ों की जड़ें सहायक होती हैं, क्योंकि ये अधिक बारिश के पानी को जमीन में समाहित कर लेती हैं।
सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो ये पेड़ राहगीरों को मुफ्त में ताजे फल मुहैया करा सकते हैं, जिससे गरीबों, बच्चों और बुजुर्गों को सीधा लाभ मिलेगा। इसके अलावा जब लोग किसी पेड़ से सीधा लाभ लेते हैं तो वे उसकी देखभाल भी खुद करने लगते हैं, जिससे सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
फल बिना कीटनाशक के सीधे पेड़ से मिलने से सेहतमंद खानपान को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
आर्थिक नजरिए से देखें तो जो लोग काम की तलाश में हैं, वे इन पेड़ों से फल इकट्ठा करके बेच सकते हैं और रोज़गार कमा सकते हैं। विशेषकर झुग्गी बस्तियों और आदिवासी इलाकों में जहां फल महंगे होते हैं, वहां यह कदम खाद्य संकट को कम कर सकता है।
स्थानीय देशी पेड़ पानी और देखभाल की न्यूनतम आवश्यकता रखते हैं, जिससे यह एक किफायती हरियाली योजना बन सकती है।
इसके अलावा फलदार पेड़ों से पक्षी, तितलियां और मधुमक्खियां आकर्षित होती हैं, जिससे शहरी जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है। जब ये पेड़ फूल और फल से लदे होते हैं तो शहर की सुंदरता में भी वृद्धि होती है।
इरफान मछीवाला ने खासतौर पर ये सुझाव दिया कि पौधारोपण केवल चौड़े फुटपाथों, पार्कों, स्कूलों, अस्पतालों या खुले सार्वजनिक स्थानों पर ही किया जाए। संकरी गलियों में पौधारोपण से बचा जाए ताकि पैदल यातायात में बाधा न आए।
इसके रखरखाव की जिम्मेदारी बीएमसी को या स्थानीय रहवासियों और स्वयंसेवी संगठनों को सौंपी जा सकती है।
साथ ही जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं ताकि लोग पेड़ों की देखभाल करना और फलों की बर्बादी रोकना सीखें।
यह पहल न केवल मुंबई और महाराष्ट्र को हराभरा बनाएगी, बल्कि एक उदाहरण भी पेश करेगी कि कैसे शहरों में हरियाली और मानवता को एकसाथ बढ़ाया जा सकता है।
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