मुंबई के मलाड (पश्चिम) स्थित अंबुजवाड़ी में शिया कब्रिस्तान के एलॉटमेंट का मामला कई सालों से रुका हुआ है। स्थानीय शिया समुदाय इस समस्या से बेहद परेशान है। उनका कहना है कि यदि कब्रिस्तान पास में उपलब्ध हो जाए, तो उन्हें समय और पैसे की बचत होगी। साथ ही, अपने प्रियजनों को नजदीकी कब्रिस्तान में दफनाने की सुविधा भी मिल सकेगी।
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लेकिन, यह मसला सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि गहरे राजनीतिक और सामुदायिक विवाद में उलझा हुआ लगता है।
नई खबर फेस टू फेस को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में एडवोकेट फाज़िल हुसैन शेख ने कहा, "यह मामला सिर्फ प्रशासनिक देरी का नहीं, बल्कि राजनीति और शिया समुदाय के भीतर नाम और शोहरत की खींचतान का भी है। हर कोई चाहता है कि कब्रिस्तान उसके नाम से जुड़ जाए। इसी वजह से मसला हल होने के बजाय उलझता जा रहा है।"
सरकार की स्थिति अभी भी साफ नहीं एडवोकेट फाज़िल ने बताया कि अब तक उन्हें कोई ऐसा आधिकारिक दस्तावेज नहीं मिला है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कब्रिस्तान का एलॉटमेंट सरकार की ओर से किया जा चुका है।
क्या है समाधान? एडवोकेट फाज़िल ने कहा, "समुदाय को एकजुट होकर सही दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। एक मजबूत प्रतिनिधिमंडल बनाकर मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और बीएमसी म्युनिसिपल कमिश्नर से मुलाकात करनी चाहिए। जब तक उचित प्रतिनिधित्व नहीं होगा, तब तक मसला सुलझाना मुश्किल है।"
क्या यह चुनावी मुद्दा बन सकता है? अब बड़ा सवाल यह है कि क्या शिया कब्रिस्तान का यह मामला चुनावों से पहले हल होगा या फिर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर लंबित ही रखा जाएगा। यह मसला शिया समुदाय की एकता और ठोस पहल का इंतजार कर रहा है।