Skip to main content

पहले फांसी फिर उम्रकैद और अब रिहाई। फांसी के तख्ते तक पहुंचकर लौट आया

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में क्या था एजी पेरारिवलन उर्फ अरिवु का रोल। पहले फांसी फिर उम्रकैद और अब रिहाई। फांसी के तख्ते तक पहुंचकर लौट आया

https://youtu.be/XiECJA0mOUE

#RajivGandhiAssassination #PerarivalanRelease
#Sriperumbudur

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को हत्या हुई थी। 31 साल जेल में बिताने के बाद पेरारिवलन ने खुली हवा में सांस ली।

2018 में प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को सिफारिश दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 18 मई 2022 को संविधान के अनुच्छेद article 142 का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा कर दिया।

तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई 1991 को चुनावी रैली में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के वक्त एजी पेरारिवलन उर्फ अरिवु की उम्र 19 साल थी। पुलिस ने उसे राजीव की हत्या में इस्तेमाल होने वाले बम बनाने के लिए दो बैटरी देने और इस साजिश के लिए गलत पते से मोटरसाइकिल खरीदवाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने तमिल कवि कुयिलदासन के बेटे पेरारिवलन समेत 26 लोगों को मौत की सजा सुनाई।

पेरारिवलन की सजा को बाद में उम्रकैद में बदला गया और बुधवार को जब वह रिहा हुआ तो उसकी उम्र 50 साल थी। सुप्रीम कोर्ट ने उसे रिहा करने के फैसले में जिन बिंदुओं को मुख्य आधार बनाया, उनमें गवर्नर के रवैये और दया याचिका को लंबे समय तक लंबित रखने पर

राज्यपाल और राष्ट्रपति ने फाईल पर कोई फैसला नहीं लिया इसलिये अदालत को मजबूरन उसकी रिहाई करनी पड़ी

Populars Posts

BMC hands over Rs 60 lakh compensation to victim's family after prolonged efforts

Two sanitation workers and their father died in septic tank tragedy in Malvani   BMC hands over Rs 60 lakh compensation to victim's family after prolonged efforts   पिछले साल मालवणी के अंबोजवाड़ी इलाके में स्थित मनपा शौचालय के सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान एक दर्दनाक हादसा हुआ था जिसमें रामलगन केवट और उनके दो बेटे विकास केवट और सूरज केवट की जान चली गई थी। ये तीनों निजी कर्मचारी थे जो सफाई के लिए टैंक में उतरे थे और वहीं गिरने से उनकी मौत हो गई थी। Watch Report of Khabar face2face at  https://youtu.be/7HKGRZo1JmU इस हादसे ने मृतकों के परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया था। रामलगन केवट की मौत के बाद उनके पीछे उनकी पत्नी इंद्रावती, एक बेटी, एक बेटा और ससुर का परिवार ही बचा था। हादसे के तुरंत बाद जनप्रतिनिधि के तौर पर विधायक असलम शेख इंद्रावती जी को यह भरोसा दिलाया था कि इस मुश्किल समय में मैं उनके साथ खड़ा हूं। विधायक असलम शेख ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका और राज्य सरकार के अलग-अलग स्तरों पर इस मामले को उठाया ताकि मृतकों के परिजनों को न्याय और उचित...