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Health Hazards and Social Challenges of Keeping Dogs at Home


Health Hazards and Social Challenges of Keeping Dogs at Home  

Irfan Machiwala Raises Concerns on Religious and Hygiene Grounds  

माहीम के सामाजिक कार्यकर्ता इरफान मछीवाला ने घर में कुत्ते पालने को लेकर कई अहम मुद्दे सामने रखे हैं जो आम तौर पर लोगों की नजर से छूट जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक पालतू जानवर रखने का मामला नहीं, बल्कि इसके पीछे सेहत, साफ-सफाई, आर्थिक बोझ, धार्मिक भावना और सामाजिक व्यवहार से जुड़ी कई परेशानियां जुड़ी होती हैं।

इरफान मछीवाला ने बताया कि सबसे पहले सेहत से जुड़ी समस्याएं हैं। कुछ लोगों को कुत्तों के बाल, झड़ती त्वचा या लार से एलर्जी हो सकती है। इसके अलावा कुत्तों से ज़ूनोटिक बीमारियां जैसे रिंगवर्म, लेप्टोस्पायरोसिस या परजीवी (जैसे टिक्स, फ्लीज और वॉर्म्स) इंसानों में फैल सकते हैं। खासतौर पर छोटे बच्चों में दमा (अस्थमा) के मरीजों को कुत्तों की उपस्थिति से परेशानी हो सकती है क्योंकि उनका झड़ता हुआ बाल और डैंडर सांस की तकलीफ को बढ़ा सकता है।

दूसरा पहलू है साफ-सफाई। कुत्तों के झड़ते बाल फर्श, फर्नीचर और कपड़ों को गंदा कर देते हैं। अगर उन्हें नियमित रूप से नहलाया ना जाए तो बदबू भी आने लगती है। पिल्ले या बिना ट्रेनिंग वाले कुत्ते अक्सर घर के अंदर ही पेशाब या पॉटी कर देते हैं जिससे घर की स्वच्छता पर असर पड़ता है। अगर कुत्ते रसोई या खाने की जगहों में घुसते हैं तो वहां गंदगी और कीटाणु फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

तीसरा मुद्दा है आर्थिक बोझ। कुत्तों की वजह से फर्नीचर का नुकसान, जूते चबाना, गार्डन की खुदाई जैसे मामले अक्सर सामने आते हैं। ऐसे नुकसान की मरम्मत में पैसा खर्च होता है जो हर किसी के लिए संभव नहीं होता।

वर्ताव से जुड़ी चुनौतियां भी कम नहीं हैं। बिना ट्रेनिंग के कुत्ते कई बार आक्रामक हो जाते हैं। उनके भौंकने की आवाज से आसपास के लोगों को तकलीफ हो सकती है। यदि कुत्ता बोर या अकेला हो जाए तो वह फर्नीचर चबाना, दरवाज़े खुरचना या गड्ढे खोदने जैसी हरकतें कर सकता है।

लाइफस्टाइल पर भी इसका असर होता है। जिनके पास कुत्ते होते हैं वे कहीं भी ट्रैवल या रातभर बाहर रुकने का प्लान नहीं बना पाते। उन्हें रोज़ाना वॉक, खाना, नहलाना और साथ देने के लिए वक्त देना होता है। कई बार मेहमान कुत्तों से डरते हैं या उन्हें एलर्जी होती है जिससे मेज़बानी मुश्किल हो जाती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कुछ धर्मों जैसे इस्लाम में कुत्तों को घर के अंदर, खासकर रहने और नमाज़ अदा करने वाले हिस्सों में रखने को नापाक माना गया है। यह धार्मिक भावना से जुड़ा मसला है जिसे समझना ज़रूरी है।

बच्चों और बुज़ुर्गों की सुरक्षा भी एक गंभीर चिंता का विषय है। कभी-कभी शांत मिजाज़ वाले कुत्ते भी किसी उत्तेजना में आकर काट सकते हैं। इसके अलावा तेज़ी से दौड़ते कुत्ते बच्चों या बुज़ुर्गों को गिरा सकते हैं जिससे चोट लगने का खतरा रहता है।

इरफान मछीवाला ने इन सभी पहलुओं पर रोशनी डालते हुए समाज से अपील की है कि पालतू जानवर रखने से पहले उसके प्रभावों को भलीभांति समझें और अपनी परिस्थितियों के अनुसार ज़िम्मेदारी से फैसला लें।

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