Slaughterhouse Closures Spark Economic and Social Struggles
Irfan Machiwala Urges Authorities to Reassess Closure Impacts
माहिम के समाजसेवी इरफान मछीवाला ने कहा है कि स्लॉटरहाउस यानी कसाईखानों को अस्थायी रूप से बंद करने से समाज के विभिन्न वर्गों पर कई तरह की मुश्किलें पैदा होती हैं और इसका असर सिर्फ एक सेक्टर तक सीमित नहीं रहता
उन्होंने कहा कि सबसे पहला और बड़ा असर रोज़ कमाने खाने वालों पर होता है जैसे कसाई और स्लॉटरहाउस में काम करने वाले मजदूर जो अपनी दिहाड़ी या नियमित आमदनी से वंचित हो जाते हैं इसके साथ ही मीट बेचने वाले दुकानदार ट्रांसपोर्टर्स और कोल्ड स्टोरेज ऑपरेटर्स को भी भारी नुकसान होता है
इसके अलावा सड़क किनारे ठेले वाले छोटे व्यापारी नॉनवेज खाने की दुकानों और कबाब बेचने वालों को भी आर्थिक तौर पर भारी झटका लगता है
इरफान मछीवाला ने बताया कि स्लॉटरहाउस अचानक बंद होने से ताजा गोश्त की सप्लाई में भी बाधा आती है जिससे उन समुदायों पर असर पड़ता है जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी में गोश्त पर निर्भर होते हैं
मीट की आपूर्ति कम होने की वजह से इसकी कीमतों में बढ़ोतरी होती है और ब्लैक मार्केट में बिक्री की घटनाएं भी सामने आने लगती हैं
जानवरों की भलाई पर भी इस फैसले का नकारात्मक असर देखने को मिलता है क्योंकि जो जानवर पहले से ही ज़बह के लिए लाए जाते हैं उन्हें अस्थायी बंदी के चलते तंग और अमानवीय हालात में रखा जाता है
ज़बह में देरी की वजह से जानवरों में भीड़ बढ़ जाती है जिससे तनाव और बीमारियों का फैलाव होता है
साथ ही आम ग्राहक भी इस बंदी से प्रभावित होता है क्योंकि उन्हें अपनी पसंद का मीट जैसे मटन या चिकन आसानी से नहीं मिल पाता कई बार रेस्तरां और कैटरर्स को भी अपने मेन्यू बदलने पड़ते हैं जिससे व्यापार में नुकसान होता है और ग्राहकों की नाराज़गी भी झेलनी पड़ती है
इरफान मछीवाला ने प्रशासन से अपील की है कि वे स्लॉटरहाउस के संचालन से जुड़े फैसले लेते समय केवल धार्मिक या प्रशासनिक पहलुओं को न देखें बल्कि इसका सामाजिक आर्थिक और जानवरों की भलाई पर पड़ने वाले व्यापक प्रभावों को भी गंभीरता से समझें और ध्यान में रखें
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